पथराई आंखें .....

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...............पथराई आंखें ............... महफ़िल सजी थी ग़ज़लों की, हरि गीतों की और भजनो की, बढ़चढ़ कर के कवि आए, कवियित्रियों से बराबरी न कर पाए, उनकी थी आवाज़ मधुर बहुत , ...

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